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Wednesday, May 9, 2012

कांसीराम और मायावती



कांसीरामजी को पहेली बार करीबन 1983-84 में मैंने अहमदाबाद के डॉ. अंबेडकर हॉल में सूना था. बामसेफ का संमेलन था. बबलदास चावडा और विश्राम परमार उस कार्यक्रम के आयोजक थे. उस वक्त बीएसपी का गठन नहीं हुआ था, मगर बहुत जल्द होनेवाला था. "कांसीराम जैसे नेता अपने झोले में अपनी पार्टी का लेटरपेड साथ में  लेकर घुमते हैं", ऐसी कमेन्ट वासुदेव महेता ने संदेश अखबार में की थी वह मुझे याद है. उस वक्त कांसीरामजी के साथ जो लोग थे, आज उनको कोई नहीं पहचानता. कांसीरामजी पूरी रात पोस्टर लगाकर कालुपुर रेल्वे पुल के नीचे अखबारों की पथारी करके सो गए थे तब उनके साथ मुकेश वोरा थे, उस वोरा को अब कौन पहचानता है? कौन जानता है, भरूच के उस महेश वाघेला को जो तीस साल पहले साहब के लिए बनियान खरीद लिया करते थे?

दुनिया सत्ता की दिवानी है. गुजरात में हमने देखा है. चुनाव के वक्त बीएसपी की ओफीस पर टीकट के भूखे लोगों की लंगार लग जाती है. लगता है, जैसे पार्टी गुजरात की सभी 182 सीटें जीत जाएगी. चुनाव के बाद वो मिशन की बात करनेवाले कौन सा कमिशन लेने कहां खो जाते है किसी को पता नहीं चलता. बात दरअसल यह है कि सभी लोग मायावती बनना चाहते है, किसी को कांसीराम नहीं बनना है. क्योंकि मायावती का मतलब है सत्ता. कांसीरामजी का मतलब है नींव की इंट.

कांसीराम बनना आसान नहीं है, क्योंकि कांसीराम बनने का मतलब है, नींव की इंट बनना. कांसीराम का मतलब है, पूरी जिंदगी का समर्पण. कांसीराम का मतलब है, सायकल रैलियां, अविरत लोकसंपर्क, जनजागृति, संगठन की अहेमियत और लोगों के प्रति निष्ठा. नब्बे प्रतिशत लोग रीझल्ट देखते है, प्रक्रिया नहीं देखते. एक आदमी ने अपनी पूरी जिंदगी की राजकीय, सामाजिक, सांगठनिक पूंजी एक अनजान लडकी को सौंप दी और उसे दलितों के इतिहास का एक गौरवपूर्ण प्रकरण लिखने का अवसर दिया.

अब वह अवसर निकल गया है. अगर आप फिर से इतिहास दोहराना चाहते हैं, तो आप को कांसीराम चाहिए. देश के हर राज्य में एक कांसीराम चाहिए. क्योंकि कांसीरामजी होंगे, तो मायावती पैदा होगी. नींव की इंट होगी तो इमारत बनेगी. अफसोस की बात यह है कि हम कांसीराम नहीं बनना चाहते. हम में से कोई भी आदमी पेरेलीसीस से मरना नहीं चाहता.  

5 comments:

  1. I like your Msg. me Bhi yah sochkar dukhi hota hu. jab chunav aata hai tab har Jagah BSP dekhta hai..
    Chunav k Baad Koy nahi dikhata Nahi BSP..

    me 3Year Che. BSP Joint hona chahata hu.. or Sirf unaka Naam rosan karna chata hu..

    Ramnik Rathod
    Center Dirctor ISHU Infonet Pvt Ltd.

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  2. Bahut hi accha likha hai...bilkul sahi...please dont stop writting...thanks for writes.

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  3. विलकुल आप ने सही लिखा है मैं भी सभी मंचों से यही कहता हूँ कि मायावती बनना चाहते हैं लेकिन उनका त्याग देखा है नहीं।बहन मायावती नेभी यही सोंच रखा था कि यहबहुजन समाज तो अब मेरा पकका वोट है लेकिन बहुजन समाज ने 2012के चुनाव में दिखा दिया कि हम सरकार बना सकते हैं तो बिगाड़ भी सकते हैं तब कहीं जाकर अम्बेडकर वादी विचार धारा के लोगों को ढूंढकर पदाधिकारी बनाए जा रहे हैं लेकिन बहुजनों के साथ हमेशा ठगी हुई है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है।फिर भीबहुजन समाज फिर इतिहास दोहराने के लिए तैयार है।...रमेश चंद्र जिला अध्यक्ष शिक्षक महासभा बरेली।

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