राहुल गांधी को गालियां देते देते कुछ लोग नरेन्द्र मोदी के
भक्त हो जाते है. दोनों में कोई फर्क नहीं है. एक के पास परीवार का संघ है, दूसरे के पास संघ का परीवार है.
एनजीओ का प्रोजेक्ट मटीरीयल नहीं है, और नहीं है संघ परीवार की पैदल सेना, दलित है हम, इस देश की धरोहर
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Sunday, July 15, 2012
Friday, July 13, 2012
रूपा को न्याय दिलाएं
राजकोट के
थोराला में दलित युवती रूपा पर अत्याचार करनेवाले पुलीसों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
करने के लिए अनुरोध करता हुआ पत्र आज गुजरात के पुलीस महानिर्देशक चित्तरंजनसिंह, राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को भेजा गया है.
इन सब का इ-मेइल आईडी इस प्रकार है,
राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग - covdnhrc@nic.in, ionhrc@nic.in
अनुसूचित
जाति आयोग के सदस्य राजु परमार - rparmar2008@yahoo.com
राष्ट्रीय
बाल अधिकार आयोग के चेरपर्सन मेडम शांतासिंहा - shantha.sinha@nic.in, shanthasinha@yahoo.com,
To,
Mr.
Chitranjansingh,
Director
General of Police,
Police
Bhavan, Gandhinagar.
Sub: police atrocity on dalit girl in
Thorala, Rajkot.
Dear Sir,
Some policemen of Thorala Police
Station, Rajkot entered house of Rupa Savjibhai Sondarva (age 16 years) on 25
June, 2012, between hrs. 12.00 To 12.30 noon. Rupa was cooking on second floor
of her house. The policemen entered from the adjoining house. Policemen beat
Rupa with sticks. She ran to escape from them. They kicked her in her back
making her to fall from the stairs of her house. Due to this fall Rupa was
badly injured in her back. Rupa was admitted in Rajkot civil hospital on 26
June, 2012. (Copy of case paper is attached herewith.) But, she was not
properly treated in the ho9spital. Then, on 2 July, 2012 Rupa has been admitted
in civil hospital, Ahmedabad as inddoor patient. (Copy of the case paper is
attached herewith.)
You are requested to order DySP,
Rakjkot to file first information report (FIR) against those policemen who are
responsible to impose severe injury on Rupa Sondarva. You are also requested to
order DySP, Rajkot file FIR under concerned sections of Atrocity Act.
For your kind information, the member
of National Commission for Scheduled castes, Mr. Raju Parmar also visited
Thorala and ordered to prepare Action Taken Report in this case from Collector,
Rajkot district.
Yours
(Rajesh Solanki)
Thursday, July 12, 2012
यहां पूरा प्रशासन पेन्ट उतारकर बैठ गया है
रूपा अभी अमदावाद की सीवील अस्पताल में है |
राजु सोलंकी
राजकोट के थोराला विस्तार में 25 जून को एक दलित युवान की हत्या के बाद दलितों
पर हुए पुलिस दमन अखबारों में नहीं छपा. सोलह साल की रूपा अपने घर की उपरी मंजिला पर खाना पका रही थी. पड़ोशी के घर के दरवाजे
में छेद करके अंदर दाखिल हुई पुलिस छत से रूपा के घर में आई और उस पर लाठियों की
बौछार कर दी. डर के मारे रूपा सीडी की तरफ भागी तो उसकी पीठ पर लात मारी, सीडी से गिरने से उसकी कमर तूट गई. रूपा का राजकोट की सीवील अस्पताल में इलाज नहीं हुआ,
पुलिस के डर से केस फाईल में कमर टूटने का कारण भी नहीं लिखा गया।
30 जून 12 को हम राजकोट गये. रूपा के घर के आगे ही हम बैठे थे. रूपा के पिताजी
को फरियाद करने के लिये समझाया. "मैंने
सुबह अपने घर को 30,000 में गीरवी रख दिया है. मैं अपनी लड़की को प्राईवेट होस्पीटल
में भर्ती करूंगा, फरियाद करूंगा तो पुलिसवालों मेरी हड्डियां तोड देंगे, मैं घर
को ताला मार दूंगा," ये
थे रूपा के पिता सवजीभाई के शब्द. "हम आपके ही समाज के हैं,
इसलिये आपके प्रति भावना से प्रेरित होकर आये हैं, रूपा का ईलाज यहां ना हो सके तो
अमदावाद ले आना," इससे ज्यादा सवजीकाका को हम कहे नहीं सके. दूसरे दिन
बारह बजे रूपा के रिश्तेदार उसे अमदावाद लाये. उनके साथ जाकर रूपा को सीवील में
भर्ती कराने के बाद लगातार हम उसके संर्पक में है. अभी उसे स्पाईन विभाग में भर्ती
किया गया है. रूपा का ईलाज अच्छी तरह से हो उसके लिये हम सब कृतनिश्चयी है, परन्तु
ये तो सचमुच आसमान फटा है. रूपा के घर के सामने रहते आंबेडकरनगर के ही 9 वर्षीय करण को अब ये भी याद नहीं होगा कि उसने
कितनी बार जाहिर में अपनी पेन्ट उतारी होगी और लोगों को उसके गुप्तांग पर लगी चोट बताई
होगी. "पुलिस ने मुझे पेशाब करने की जगह पर लात मारी," ऐसा कहते कहते वह अपनी माता से जिस तरह चीपक जाता है, उस दृश्य को देखकर ही
पता चला जाता है कि उस पर क्या बीत रही होगी.
राजकोट मुलाकात के दौरान ही अनुसूचित जाति आयोग के राजु परमार लालबत्तीवाली
गाडी में वहां आये थे. हमने उनसे फोन पर बात की. जब उन्हे करन के बारे में जानकारी
दी तब उन्होने उसे कलेक्टर कचहरी पर लाने के लिये कहा. करन ने कलेक्टर कचहरी
में सबके सामने पेन्ट उतारी. इस बार माता के आंचल से लिपटा नहीं, परन्तु मक्कमता से वहां
खडा रहा. कलेक्टर त्रीवेदी, एसपी डॉ. राव के चहेरे पर शर्मिदगी दिखाई दे रही थी. आयोग
ने कलेक्टर को एक्शन टेकन रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया और पांच बजे की फ्लाइट
पकडने के लिये फटाफट वहां से रवाना हुआ। एक मासुम बच्चा अपनी पेन्ट उतार रहा था, मगर उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड रहा था, क्योंकि पूरा प्रशासन यहां कब से अपनी पेन्ट उतारकर बैठ गया है.
हम वापस आंबेडकरनगर आये. अभी ढेर सारी वितककथाएं हमारी राह देख रही थी. 42
वर्षीय प्रवीण नकुम को घर में घुसकर मारा, तीन दिन तक गेरकानून हिरासत में रखा, बाद
में छोड दिया. उन्हें इतने भयंकर रूप से मारा था कि पांच दिन बाद हम जब उन्हें मिले
उस वक्त भी उनके घाव नहीं भरे थे. उनके लड़के का बाल खींचकर घसीटती हुई पुलिस चौराहे
तक ले गई और उसे भी जेल में बंद कर दिया. प्रवीणभाई की पत्नी के कान में पहेने हुए
इयरिंग को इतनी जोर से पुलीस ने खिंचा कि वहां खरोच पड गई. उसकी खरोंच के निशान अभी
भी उनके चहेरे पर मौजूद है. पांव
के तलवे पर लक़डियो से इतना प्रहार किया गया कि तलवे सूज गए थे और सूजन काफी दिनों
तक रही. सिर्फ लगोंछा पहनकर बैठे हुण प्रवीणभाई छूटक मजूरी करते है.
जन्म से टेढी गर्दन के साथ जन्मी भावना को लेकर उसके
माता पिता हमारे पास लाये. "मेरी
बच्ची को भी उन्होंने नहीं छोडा, धडाधड लाठियां बरसाने लगे उस पर," भावना की माता रोआसा चहेरा
करते हुए कह रही थी. करन के बडे भाई मुकेश ने भी पट्टी किये पांव को दिखाते हुए
कहा कि पुलिस ने उसे भी लाठी से मारा था. "पुलिस दीवार कुदकर हमारे घर में
घुसी थी. मेरे दूसरे दो बडे बेटों को भी पकडकर ले गई है. मैं बहुत चिल्लाई, पर
मेरी सुने कौन?"
जयाबहेन की बात बिलकुल सच थी. सूने कौन?
25 जून को गुणवंत की हत्या हुई थी. यह "गुणा" थोराला के दलितों का हीरो था. दलितों में हर जगह ऐसे गुणाएं है. जेतलपुर का
शकरा भी ऐसा ही बहादुर था। पंचायत की कचहरी में बंद करके पेटलों ने उसे युंही ही नहीं
जलाया था. धाडा के रमेश को दरबारों ने गांव के बीचोबीच ट्रेक्टर के नीचे कुचल
दिया. रमेश ने दरबारों के आंखो में आंखे डालने की हिम्मत की थी। हैदराबाद से
मिलिट्री की तालीम लेकर घर वापस आये सायला तालुका के कराडी गांव के दलित युवान ने
उसकी सात पीढियों में शायद पहेलीबार गांव के चोक में जुआ खेलते दरबारों को डांटने
की "गुस्ताखी" की और उसके सीने को गोलियों से छलनी कर दिया गया.
गुणा एन्टी-सोशियल था, बुटलेगर था. "परन्तु हमारे लिये दीवार
जैसा था. गुणा जिंदा था, तब तक थोराला में पुलिस घुस नहीं सकती थी," थोराला के दलित अगर ऐसा कहते है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है.
बदनसीबी यह है कि गुणा को चाकू मारनेवाला हाथ इमरान का है. इमरान हितेश मुंधवा
जैसे जम़ीन दलालों का प्यादा है यह सत्य थोराला के दलित अच्छी तरह जानते हैं, मगर
अभी तो उनका क्रोध एक गरीब मुसलमान का घर जलाने में परीवर्तीत हुआ है. गुणा की
स्मशानयात्रा में समूचे जीला के दलित आए थे और अग्निदाह के बाद सभी अस्सी फुट के
रोड पर इकठ्ठा हुए थे. "उनके पास प्राणघातक
हथियार थे और बार बार समजाने पर भी नहीं माने थे और गैरकानूनी मंडली रचकर पब्लीक
प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाने के गंभीर प्रयास किए थे," ऐसे आरोप पुलीसने एफआईआर में दर्ज करके 54 लोगों को हिरासत में लिया और बाद
में हुए पुलीस दमन को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया है.
पीछले कुछ सालों से राजकोट दलित अत्याचार का एपीसेन्टर बना है. हर साल चौदह
अप्रैल को कुछ न कुछ बहाना निकालकर दलितों को पीटने की पेटर्न पुलीस ने बना ली है.
2011 में बाबासाहब की प्रतिमा का मुसलमानों द्वारा खंडन होने की अफवाह फैलाई गई
थी, उसमें राजकोट बीजेपी के लघुमती सेल के अद्यक्ष कादर सलोट ने मुख्य भूमिका
निभाई थी ऐसा सूत्रो ने बताया था. "हमने तूम्हारे बाप का
पूतला नहीं तोडा," ऐसा बोलकर मालवीयानगर पुलीस स्टेशन के "दरबार" पुलीसवालों ने महात्मा गांधी छात्रावास के दलित छात्रों को बेरहेमी से पीटा
था. उस दमन को हमने "मेरे बाप का पुतला" नाम की दस्तावेजी फिल्म में उजागर किया है. थोराला इसी दमन-चक्र की एक और कडी
है.
थोराला
के समाचार को द्विगुणित करती हूई एक और घटना हमारे सामने हूई. डबल ग्रेज्युएट,
सफाई कर्मी अशोक चावडा ने राजकोट के सीटी इजनेरी विभाग के अफसरों के तथाकथित
मानसिक त्रास से व्यथित होकर अमदावाद की होटल में आकर आत्महत्या की. अशोक चावडा की
स्युसाइड नोट होटल के उस कमरे से पुलीस को मीली है. इसी समय के दौरान सुरेन्द्रनगर
जीला के वढवाण तालुका के वडला गांव में दलित सरपंच पर जानलेवा हमला होने की खबर भी
मीली. 2013 विधानसभा का आनेवाला चुनाव रक्तरंजित होगा ऐसा राजकीय निरीक्षकों का
कहेना है. दलितों का हर दिन रक्तरंजित है और रात शोक की कालीमा ओढ़कर सोती है.
(30 जून 2012. थोराला की मुलाकात लेने गई सीवील सोसायटी की टीम में
थे रफी मलेक, प्रसाद चाको, होझेफा उज्जैनी, अशोक परमार, भानुबहेन परमार, कीरीट
परमार, डॉ. जयंती माकडीया, वृंदा त्रिवेदी तथा राजु सोलंकी)
Tuesday, July 10, 2012
आदिवासी इलाकों में आरएसएस का षडयंत्र
Saturday, July 7, 2012
किसकी कमर तोडी - रूपा की या दलित समाज की ?
गुजरात के राजकोट
शहर के थोराला क्षेत्र के अंबेडकरनगर में 25 जून 2012 को दलित युवान गुणवंत की हत्या के
बाद दूसरे दिन उसकी स्मशानयात्रा निकली थी. उसके बाद
पुलीस ने दलितों को कुचलने के लिए जो कुछ किया उसके बारे में एक भी शब्द गुजरात के
अखबारों में नहीं आया. टीवी नाइन चेनल ने पुलीस दमन का लाइव टेलीकास्ट किया, मगर वह भी तेलुगु में
किया. पेश है उस दमन की तसवीरें.
रणचंडी बनी है दलित माता, संतान उसके खामोश है. |
लड रही है दरिेंदों से, देखो उसकी हिंमत घर में बैठे बैठे तूम क्या करोगे किंमत |
गुणवंत की हत्या के बाद शोक में ़डूबे दलित सडकों पर आ गए |
दलित आक्रोश को कुचलने के लिए पुलीस ने उन्हे चारो ओर से घेर लिया |
फिर, एक के बाद एक सब की पीटाई शरू की. राजकोट में दलितों का मनोबल तोडने के लिए पुलीस किसी ना किसी बहाने की तलाश में रहती है |
आरक्षण का बेकलोग उडा दिया, प्राइवेट में नौकरी नहीं, दलित युवकों के जीवन में संघर्ष के सिवा कुछ नहीं |
निहत्थे लोगों को पीटती है गुजरात की पुलीस हरीजन चमचे बजाते हैं बीजेपी में कुरनीस |
दलितों को बेरहेमी से पीटने के बाद 54 लोगों के खिलाफ पुलीस ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें पांच महिला थी और उसमें साठ साल की दलित माता भी थी |
एफआईआर में पुलीस ने लिखा कि दलितों के पास प्राणघातक हथीयार थे, अब आप देखें कि किसके पास हथीयार है और कौन घातकी है. |
सफेद हेलमेट पहेना हुआ यह पुलीसवाला हर जगह पर इसी तरह दलितों पर सीतम बरसाता है, राजकोट में पहले भी हूई दलित दमन की कई वारदातों में जाडेजा सरनेम का यह आदमी सामिल था, ऐसा सभी का कहेना है. |
सोलह साल की रूपा सोंदरवा अपने घर में खाना पका रही थी, उस पर पुलीस ने जानलेवा हमला किया |
रूपा के पड़ोसी के घर का दरवाजा तोडकर इस सीडी से पुलीसवाले छत पर गए |
पड़ोसी दलित दंपति को पुलीस ने भगाया, घर के पीछे एक फेक्ट्री है, उसकी छत पर वे डर के मारे भाग गए तो पुलीस ने वहां भी उन पर पथ्थर फेंके |
.....और फिर यहां से रूपा के घर की दूसरी मंज़िल में घूसे |
रूपा खाना पका रही थी, दो पुलीसकर्मियों ने उस पर लाठियां बरसाई, रूपा भागकर सीडी से उतरने लगी, उसकी पीठ पर उन्होने लात मारी, वह सीडी से नीचे गीरी, उसकी कमर तूट गई. |
गरीब माता-पिता रूपा को राजकोट सीवील अस्पताल में ले गए. वहां उसका रूटीन चेकअप करके उसे रिहा कर दिया. |
रूपा को अभी हमने अहमदाबाद की सीवील अस्पताल में एडमीट करवाया है, उसकी ट्रीटमेन्ट हो रही है. |
करण को लेकर हम गए तूरन्त राजकोट की कलेक्टर ओफीस पर, जहां पर चल रही थी अनुसूचित जाति आयोग की बैठक |
आयोग समक्ष करण ने अपनी बात रखी और बताया कि पुलीस ने उसे लात मारी. किसी के पास उसका जवाब नहीं था |
मासूम बच्चों के साथ किए गए ऐसे व्यवहार को हम बर्दास्त नहीं करेंगे, पुलीस अफसरों को साफ साफ कहा सीवील सोसायटी के शिष्ट मंडल ने. |
अत्याचार की हरेक घटना के बाद इस तरह कलेक्टर कचहरियों में बैठक होती है, वे महज औपचारिकता होती है. |
प्रवीण नकुम (42) फेक्ट्री में मजदूरी करते है. उनके घर में घूसकर पुलीस ने उन्हे बहुत पीटा और तीन दिन तक गैरकानूनी हिरासत में रखा |
प्रवीण को इतनी बूरी तरह पीटा था कि एक हप्ते के बाद 30 जून को जब हम इन्हे मीले थे तब भी उनके घाव भरे नहीं थे |
घरों के दरवाजे तोडकर घूसी थी पुलीस |
पुलीस अत्याचार से डरे हैं लोग |
अनीता भीमजीभाई परमार. पुलीस उसके भाई और पिता दोनों को पकडकर ले गई और उसको भी बूरी तरह पीटा |
रूपा के घर के पास इकठ्ठा हुए लोगों से सीवील सोसायटी के सदस्यों ने बात की |
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