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Tuesday, November 20, 2012

रूपाला को जुता मारो

ढोल, गंवार, शुद्र, पशु, नारी ये सब ताडन के अधिकारी, ऐसा कहनेवाले पुरुषोत्तम रुपाला को जो कोई जुता मारेगा, उस आदमी का हम सम्मान करेंगे.

Sunday, November 11, 2012

आतंकवाद से लडने के लिए लाई गई कार्बाइन से मारा दलित बच्चों को



थानगढ में दलित बच्चों को .303 (पोइन्ट थ्री नोट थ्री) और कार्बाइन गन से मारा गया था. पुलीस की एफआईआर में इस बात का जीकर है, इस लिए गुजरात सरकार इस बात से मुकर नहीं सकती. पोइन्ट थ्री नोट थ्री कैसी कातिल जानलेवा बंदूक है, इसका अंदाजा अगर किसी को होता भी है, हमें बताने के लिए वह जिंदा नहीं रहता.

पोइन्ट थ्री नोट थ्री का इस्तेमाल बरसो से पुलीस फोर्स कर रहा है. 1956 के महा गुजरात के आंदोलन दौरान जब लाल दरवाजा की कांग्रेस कचहरी के पास विनोद किनारीवाला की जान गई थी, तब मोरारजी देसाई बोला था, "बंदूक की गोलियों पर मरनेवाले का पता नहीं लिखा होता." नवनिर्माण के आंदोलन के दौरान चीमन पटेल की सरकार ने 105 युवाओं की जान ली थी. उस वक्त भी पुलीस युवाओं की छाती में गोलियां मारती थी. अब आतंकवादियों के सामने साडे चार किलो वजन की और मीनट में बीस राउन्ड छोडनेवाली पोइन्ट थ्री नोट थ्री अब पुरानी हो चूकी है. मुंबई में कसाब और उसके आतंकी साथी कार्बाइन लेकर आये थे और 166 लोगों को मार डाला था. मुंबई के आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान की सरहद पर आये राज्यों को ओटोमेटिक राइफलें देने का निर्णय लीया था और उस निर्णय के तहत गुजरात में 2000 ओटोमेटीक राइफलें आइ थी. इन राइफलों को गुजरात के विभिन्न जीलों में बांटी गई थी. उसी में से एक कार्बाइन से पुलीस ने थानगढ में दलित बच्चों को मौत के घाट उतारा था. सिर्फ 3.2 किलो की कार्बाइन मीनट में 650 राउन्ड छोडती है.

थानगढ में दलितों पर वोटर केनन, लाठीचार्ज, अश्रुवायु किसी का भी प्रयोग किये बिना पुलीस ने कार्बाइन गन चलाई थी. अब गुजरात के दलित इस चुनाव में मोदी-फलदु के पीछे पीछे कुत्ते की तरह घुमते उनके प्रतिनिधियों को हराकर सबक शीखायेंगे तभी थानगढ के मृतात्माओं को सच्ची श्रद्धांजली मीलेगी.

Saturday, November 10, 2012

गोगीया - थानगढ का असली हीरो, जो अभी भी जेल में है


इस तसवीर में एक आदमी जमीन पर गिरा है, या उसे गिरा दिया गया है और उसके चारों और भेडियों की तरह पुलीसवाले खडे हैं. वह है गोगीया. थानगढ का दलित युवान, जो अभी तक जेल में है. गोगीया पर पुलीस की कार्बाइन गन छीनने का गंभीर आरोप लगाया गया है. गोगीया को अभी तक जमानत मीली नहीं है.

23 सप्टेम्बर, 2012 के दिन जब पुलीस ऑटोमेटीक कार्बाइन से गोलियों की बौछार कर रही थी. सामने निहत्थे दलितों का टोला खडा था. न अश्रुवायु, ना वोटर केनन. ना कोई चेतावनी, ना कोई रबर बुलेट. दलित बच्चों के सीने में, गले में, पेट में गोलियां चला रही थी पुलीस. तब कहते है कि नजर के सामने बच्चों को मरते हुए देखकर गोगीया का दिल कांप उठा था. जिंदगी में कभी जिस आदमी ने एक चींटी तक नहीं मारी, ऐसा सीधा सादा इन्सान गोगीया आधा किलोमीटर का फांसला दौडकर पुलीस के नजदीक गया और कार्बाइन से गोलियां चालनेवाले पुलीस कर्मी को रोकने की कोशिश की. पुलीस ने उसे मारा, पीटा, चारों और से घेरकर जानवरों सा सलुक किया. यह तसवीर सारी कहानी बता रही है. और उसमें जो आदमी हाथ में काला जेकेट लेकर खडा है, वह है डीएसपी हरिकृष्ण पटेल. तेइस तारीख दोपहर को गोलियां चलाने का आदेश उसने दिया था.

मोदी सरकार ने पी के जाडेजा और तीन पुलीस कर्मियों के खिलाफ 302 सेक्शन दाखिल की है, मगर हरिकृष्ण पटेल के खिलाफ अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई है. जाडेजा से भी ज्यादा दोषी हरिकृष्ण पटेल है. थानगढ में एक लाख से भी ज्यादा लोग इकठ्ठा होने के बाद भी अभी तक दलितों के हत्यारों को सरकार पकडने के लिए तैयार नहीं है. क्योंकि कांग्रेस के दलाल इस आंदोलन को खत्म करने पर तूले है. 2 अक्तुबर के दिन पूरे गुजरात से आए दलितों ने थानगढ में जो मदद की, उसी पैसों का उपयोग करके कांग्रेस के कुछ दलाल अभी अभी दिल्ली में अपनी टीकट पक्की करने गये थे और लोगों को कहा कि हम अत्याचारों के खिलाफ वकालत करने गए थे.

मायावती और ओबामा


मायावती ने भी ओबामा की तरह रेइनबो कोएलीशन बनाया, सर्वजन के नाम पर. मगर ओबामा ने अपनी बर्थडे पार्टी पर नोटों का हार गले में डालकर मीडीया को कोई मौका नहीं दिया, अपनी बदसूरती का प्रदर्शन करने का. न तो खुद के पूतले बनाये, और वह भी हाथ में पर्स रखकर. एक नई देवी का प्रादुर्भाव हुआ, जिसे गहनों का शौख है और हाथ में शस्त्र के बजाय इलेक्ट्रोनीक वोटिंग मशीन है.