घर वापसी के दो उद्देश है.
पहला, विकास का नारा विफल गया तो घर वापसी के केम्पेन से हिन्दु मत बरकरार रखना.
दूसरा, दलित-शोषित समुदायों में एक दूसरे के प्रति घृणा फैलाना, ताकि सवर्ण
प्रभुत्व भी बरकरार रहे और गरीबी, बेरोजगारी जैसे बूनियादी सवालों पर कोई राष्ट्रीय
चर्चा न हो सके.
मगर, घर वापसी के खिलाडियों
ने उस बात का अंदाजा नहीं लगाया है कि घर वापसी से देश में दलितों की आबादी बढ
सकती है और आरक्षण का क्वोटा बढाने की माग भी उठ सकती है. अगर ऐसा हूआ तो बीजेपी
को सपोर्ट करके सवर्ण जातियां अपने ही पैर पर कुल्हाडी मार रही है ऐसा साबित होगा.