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Wednesday, February 24, 2016

दलित नेता वालजीभाई पटेल की गिरफ्तारी


गुजरात के दलित नेता वालजीभाइ पटेल गांधीनगर के सेक्टर सात के पुलीस स्टेशन से अभी अभी रीहा हूए हैं। उन्हे ११ बजे गुजरात विधानसभा के गेट पर पुलीस ने गिरफ्तार किया । काउन्सील फोर सोशीयल जस्टीस के अध्यक्ष के पास पर्चियां थी जिस में आरक्षण का कानून बनाने की मांग की थी। मैं पूरा दिन उनके साथ था और शाम ६ बजे मैंने दलित पेंथर के स्थापक नेता की यह दुर्लभ तसवीर पुलीस स्टेशन से बाहर आते वक्त ले ली, क्योंकि मुझे मालुम था कि मीडीया में इसके बारे में एक शब्द भी नहीं छपेगा।
78 वर्षीय वालजीभाइ की गिरफ्तारी से एक बात निकलकर आती है कि गुजरात सरकार अपना होश गंवा चूकी है। पुलीस स्टेशन में एक पुलीस अफसर ने मेरे शर्ट के पोकेट से मेरी बोलपेन निकाली और पुछा यह स्पाय पेन तो नहीं है ना। पर्ची में बम, बोल पेन में स्टिंग। आनंदी सरकार की नींद अब हराम होने वाली है, मगर आरक्षण-भोगी, IAS, IPS, GAS काडर्स के हमारे साहबजादों, जिन्हे हम समारंभों में बुलाते हैं और हमारे तारणहार बनाते हैं, उनकी निंद कब उडेगी? हमारे तथाकथित एक्टीवीस्ट वोट्सअप से लेकर फेसबुक पर पूरी दुनिया की घटनाओं पर अपनी राय प्रगट करते रहते हैं, गांधीनगर में बहुत सारे विद्वान लोग बैठे हैं, दो-तीन दोस्तों के अलावा किसी ने पुलीस स्टेशन आना उचित नहीं समजा।

(शाम सात बजे, ता. 23 फरवरी 2016)

Friday, January 29, 2016

संसद अध्यक्षा सुमित्रा महाजन को खुला पत्र



प्यारी सुमित्रादीदी,
गुजरात में पैंतीस साल बाद नए तरीके से आरक्षण विरोधी आंदोलन हुआ उसके बाद कई लोग गुजरात में आकर आरक्षण के बारे में उल्टासीधा बोलते रहते हैं. वैसे तो गुजरात के मीडीया की यह फितरत है कि वह वही सूनता है जो वह सूनना चाहता है.
कुछ दिन पहले गुजरात हाइकोर्ट के जज श्रीमान पारडीवाला साहब ने कहा कि देश में आरक्षण और भ्रष्टाचार यह दोनों सबसे बडी बूरी चीजें  हैं.  कांग्रेस और बीजेपी के दलित सांसदो ने जज के खिलाफ महाअभियोग की कारवाई शूरु की तो जजसाहब ने अपना निवेदन वापस खींच लिया. शायद आपने और आप के संघ परीवार ने दलित सांसदों को चुनौती दी है कि अब मेरे खिलाफ महाअभियोग करने की हिंमत है तो किजिए.
मुझे मालुम नहीं कि दलित सांसद आप के बारे में क्या सोचते हैं. मगर मुझे एक बात मालुम है कि आप को आरक्षण के इतिहास के बारे में कुछ पता नहीं है. आप को हमारे देश का संविधान और उसे तैयार करने के लिए संविधान सभा में जो बहस हूई  उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. आप इस मामले में बिलकुल अनपढ और गंवार है.
आप ने गुजरात में कहा कि आरक्षण की समय मर्यादा सिर्फ दस साल की थी और बाबासाहब आंबेडकर ने पुनर्विचार करने के लिए कहा था. आप को मालुम नहीं है कि यह समयमर्यादा राजकीय आरक्षण के लिए थी, शैक्षणिक एवम् सरकारी नौकरियों में कोई मर्यादा नहीं है. और रही बात पुनर्विचार की, तो इस मामले में बाबासाहब ने कहा था कि पुनर्विचार दलित समाज करेगा. सुमीत्रा महाजन को या कुंभमेले में घूमते नागा बावाओं की फौज को रीथीन्कींग करने के लिए बाबासाहब ने नहीं कहा था. आप की जानकारी के लिए मैंने यहां वह बात शब्दश रखी है. डो. बाबासाहब आंबेडकर के राइटींग्स एन्ड स्पीचीझ के वोल्यूम नंबर 13 के पेइज नंबर 852 पे यह बात रखी गई है. आप जैसे गंवार और अनपढ लोगों के लिए हमने यह कष्ट उठाया है.शुक्रिया.

आप का सदैव
राजेश सोलंकी