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Saturday, April 14, 2012

अमरीका के गुलाम नरेन्द्र मोदी






क्या यह गुलाम मानसिकता नहीं है? टाइम में तस्वीर छपने के
बाद मोदी ने बनवाए ऐसे होर्डिंग और अपने आप को दिया अभिनंदन

नरेन्द्र मोदी की किताब 'सामाजिक समरसता' की हमने कल बात की थी, जिसका प्रथम प्रकरण है 'डा. बाबासाहब अंबेडकर: क्रान्तिकारी समाजसुधारक.' मोदी ग्यारहवीं सदी के दलित शहीद वीर माया का बखान करते हुए कहते है कि वीर माया ने दो एकड़ जमीन नहीं मांगी थी. हम कहते है, हमारे दलित भूमिहीन मजदूरों को दो एकड़ जमीन ही चाहिए, तुम्हारी समरसता भाड में जाय.

इसी प्रकरण में पेइज-10 पर आगे मोदी जो बात लिखते हैं, वह आज उन्ही को सुनाने जैसी है. संघ के कट्टर प्रचारक लिखते हैं, " आज भी हम में गुलाम मानस इतना हावी है कि हमारी श्रेष्ठ बातें अमरिका या पश्चिम द्वारा आए तो ही हमें उत्तम लगती है. स्वामी विवेकानंद का हमने अमेरिका के जरिये ही स्वीकार किया. हमारी योगसाधना की अनमोल विरासत अंधेरे कोने में पडी थी, मगर पश्चिम के जरीये योग भारत में वापस आया तब देर से हम हमारी गलती स्वीकार कर रहे हैं. एक समाज की हेसीयत से हम हमारे श्रेष्ठत्व के साथ जीने को अभ्यस्त हो जाएंगे तो दुर्बलता छोडने की हमारी वृत्ति अपने आप जाग जाएगी. हमारी यह मानसिक दुर्बलता का कारण है, हमने स्वीकार की हुइ आयाती विचारधारा, गुलाम मानसिकता...."

नरेन्द्र मोदी का टाइम मेगेज़ीन के कवर पेइज पर फोटो छपने से उनके चमचों में जो खुशी की लहर फैल गई थी, वह क्या इसी गुलाम मानसिकता नहीं थी? मोदी और उनके भक्तजन क्युं अमरिका के टाइम मेगेज़ीन द्वारा स्वीकृति पाने के लिए इतने लालायित है? यह उनकी मानसिक दुर्बलता के सिवा और क्या है? अमरिका ने नरेन्द्र मोदी को विझा नहीं दिया. कोइ भी स्वाभिमानी व्यक्ति इतना बडा अपमान कैसे सहन कर सकता है? मोदी कुछ समय पहले चीन गए थे. उन्हे माओ ज़ेडोंग से शीखना चाहिए. अमरिका ने पचीस साल तक रीपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार को स्वीकृति नहीं दी थी. माओ कभी अमरिका के पैर छूने गया नहीं था, बल्कि खुद निक्सन 1972 में चीन जाकर माओ को मीला था.   

1 comment:

  1. 'तुम्हारी समरसता भाड में जाय'

    bold and fearless, only ever-vigilant Raju can shout so loudly ! congrats.

    i visited the RSS sponsored 'Samrasta Manch' kiosk at Sarangpur on 14th, Dr Babasaheb's birth anniversary to have a look at their dubious activity and agenda. they are brainwashing the simple but selfish dalit youth. it is time we expose true colours of our dalit leaders belonging to RSS - Kishor Makwana, Moolchand Rana, Ranchhodbhai Solanki et al.

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