हमारी पूरी लडाई
बामनो को गालियां परोसने तक सीमीत है. मैंने कभी भी किसी दलित नेता को बिहार की, और देश की भूमि समस्या के
बारे में बात करते हुए देखा नहीं है. मायावती बामनों के साथ बैठी, अब हार गई, बिहार में नीतीश
आ गया, पासवान घर गया, गुजरात में मोदी
बैठा है. हम लोग भूमि समस्या को समजते ही नहीं. एक कार्टुन के लिए बवंडर खडा कर
दिया. देश की खेतीलायक जमीन के राष्ट्रीयकरण की बात भी बाबा ने कही थी. अगर
मर्दानगी है तो यह सवाल उठा लो. मगर प्रमोशन, पदोन्नति, कारकूनी करनेवाले चंद नेतालोग भूमिहीन दलितों
का सवाल ऐजन्डा पर लाएंगे ही नहीं. पूरे देश में जमीन का राष्ट्रीयकरण करने की
मांग उठाते हैं, चलो. देश के 18 लाख गांवो में
रहनेवाले दलितों के लिए यही मसला अहम है.
bhumi ka rastiya karan karake fir se batvara karna chahiye!!!
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