"मैं मानता हुं कि ............. हरीजनों का
विशाल समुदाय तथा उसी तराह भारतीय मनुष्य ख्रिस्ती धर्म की प्रस्तुती समज नहीं
सकते और सामान्य तौर पर जहां भी धर्मांतर होता है, वह किसी भी अर्थ में आध्यात्मिक
कृत्य नहीं है. (हरीजन, 1936, पेज 140-141). वे (हरीजन) दो चीजों के बीच फर्क नहीं
कर सकते, जितना की एक गाय कर सकती है. हरीजनों के पास दिमाग नहीं है, बुद्धि नहीं
है, इश्वर और अनिश्वर के बीच फर्क करने की समजशक्ति नहीं है." (हरीजन, 1936, पेज 360)
(डॉ. बाबासाहेब
अंबेडकर, राइटींग एन्ड स्पीचीज़, वोल्युम 5, अनपब्लिस्ड राइटींग्स, अनटचेबल्स ओर
धी चील्ड्रन ऑफ इन्डीयाझ गेट्टो एन्ड अधर एसेझ ओन अनटचेबल्स एन्ड अनटचेबिलिटी
सोशीयो-पोलीटीकल-रीलीज्यस, पेज 446-450)
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