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Thursday, April 24, 2014

एफआईआर में ‘हरिजन’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा, गुजरात के डीजी ने कहा



गुजरात की पुलीस अभी भी एफआईआर में प्रतिबंधित ‘हरीजन’ शब्द का इस्तेमाल करती है, इसके खिलाफ आवेदनपत्र देने के लिए दलित हकक रक्षक मंच का एक शिष्ट मंडल 4 अप्रैल 2014 के दिन गुजरात के पुलीस महानिर्देशक (डीजी) पी. सी. ठाकुर से मिलने गया था और डीजी ने शिष्ट मंडल से बात की थी और गुजरात के तमाम पुलीस स्टेशनों को ‘हरिजन’ शब्द का एफआइआर में इस्तेमाल नहीं करने का आदेश देने का वचन दिया था. 

हरीजन’ शब्द एम. के. गांधी ने दिया था, मगर इस शब्द से लेकर काफी विवाद है. हरिजन दक्षिण भारत में देवदासी की संतान को कहा जाता है और वैसे भी हिन्दुओं ने इस शब्द में अपनी पारंपरिक घृणा इस तरह से भर दी है कि यह शब्द अब अस्पृश्यता का पर्याय बन गया है. अब अनुसूचित जातियां खुद इस शब्द से किनारा कर रही है. मगर अब भी गुजरात की पुलीस जब एफआईआर दर्ज करती है, तब अनुसूचित की व्यक्ति के नाम के आगे हरिजन लखनेसे झिझकती नहीं है. 

वर्ष 2011 में राजकोट में डो. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा तूटने की अफवाह बीजेपीवालों ने फैलाई थी और उसका जिम्मा मुसलमानों पर डाल दिया था और जब दंगा हुआ तो बडे पैमाने पर दलितों को पकडकर जेल में ठुंस दिया था. ऐसी एक एफआईआर में तेरह वाल्मीकिओं पर दंगा करने का तहोमत राजकोट बी डीवीझन की पुलीस ने लगाया था और उस एफआईआर में तमाम वाल्मीकियों के नाम के आगे हरीजन लिखा था. दलित हक्क रक्षक मंच ने उस वक्त राजकोट में दलितों पर हुए सीतम के बारे में गुजरात के डीजी से फरियाद की थी, तब डीजी ने तमाम एफआइआर हमारी जानकारी के लिए हमे भेजी थी. 

एफआईआर में लिखे गए हरिजन शब्द के खिलाफ हमारा विरोध दर्ज करने के लिए डीजी समक्ष दलित हक्क रक्षक मंच का शिष्ट मंडल गया था, उसमें गुजरात सरकार के (निवृत्त) अन्डर सेक्रेटरी डी. के. राठोड, निर्जरी राजवंशी तथा राजेन्द्र वाढेल थे. शिष्ट मंडल ने डीजी को 22 नवम्बर 2011 कै भारत सरकार का परिपत्र क्रमांक 17020/64/2010-SCD (R.L.Cell) दिखाया. डीजी ने उनके साथे संमति जताई थी और इस प्रतिबंधित शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के लिए गुजरात पुलीस को आदेश देने का वचन दिया है.

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