Total Pageviews

Thursday, April 11, 2013

सच्चे ह्रदयसम्राट



सवाल गांधी के पीछे जी लगाने का नहीं है. आप को नींद से उठाकर पूछ लिया तो भी आप कस्तुरबा ही कहेंगे, कस्तुरबहन नहीं कहेंगे, क्योंकि पीछले सत्तर सालों से इस देश के मीडीया एवम् एस्टाब्लिसमेन्ट ने आप को कस्तुरबा शब्द बोलने की आदत डाली है. सावित्री के पीछे माइ लगाकर सावित्रीमाइ फुले बोलने की आपको आदत नहीं है. रही बात बाबासाहब की. तो बाबासाहब को गरीमा प्रदान करने के लिए रमामाई कोलोनी में लोगों ने सीने पर गोलियां झेली है, अपनी जान कुरबान की है. बाबासाहब किसी मीडीया फेक्टरी से नीकले रेडीमेड लीडर नहीं है, वह तो जनता जनार्दन के सच्चे ह्रदय सम्राट है.

No comments:

Post a Comment