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Tuesday, January 22, 2013

जनतंत्र का मज़ाक और स्थगित गुजरात


गुजरात के नथु वाडला गांव की 1099 लोगों की आबादी में अनुसूचित जाति के 121 सदस्य है. 2001 के सेन्सस में इस गांव में दलित की आबादी शून्य दिखाई गई थी. दस साल के बाद अनुसूचित जाति के लोग मतदाता सूचि में तो दर्ज हुए, मगर 2011 की जनगणना के आंकडे प्रसिद्ध ही नहीं हुए है तो फिर दलितों को ग्राम पंचायत में प्रतिनिधित्व कैसे मिल सकता है, ऐसा मानकर गुजरात सरकार ने नथु वाडला गांव में फेब्रुआरी माह में होनेवाले पंचायत के चुनाव में एक भी सीट आरक्षित नहीं की. इसके खिलाफ गुजरात हाइकोर्ट में एक अर्जी हूई तो हाइकोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगाया और कहा कि ऐसी चुनाव प्रक्रिया "जनतंत्र का मज़ाक" है. न जाने गुजरात में नाथु वडला जैसे कितने गांव होंगे?

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