Total Pageviews

Wednesday, January 2, 2013

माना कि शंबुक की कथा क्षेपक है, तो...


जब वह ब्राह्मण का लडका मर गया तब वह उसकी लाश लेकर राम के दरबार में आया, और रोते रोते कहने लगा, "हे राम, तुम्हारे राज्य में लोग वर्ण धर्म का पालन नहीं करते. तुम कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम हो?" ब्राह्मण का कहने का मतलब था कि अब शुद्र ब्राह्मण के कार्य कर रहे हैं. बेचारे ब्राह्मण कहां जायेंगे? शंबुक नाम का शुद्र तपस्या कर रहा है. इससे वर्ण-व्यवस्था (प्राचीन आरक्षण-व्यवस्था?) खतरे में हैं. राम ने जंगल में जाकर शंबुक का शिरच्छेद कर दिया. गांधीजी जैसे मानवतावादी, हिन्दुत्ववादियों ने कहा शंबुक की कहानी क्षेपक है. क्षेपक का अर्थ है, बाद में डाला गया. अगर शंबुक की कहानी क्षेपक है तो भी इससे इतना तो जाहिर होता ही है कि इस देश में तथाकथित धर्मग्रंथो को कुछ नीकम्मे, स्वार्थी, घटिया लोगों ने उनके स्वार्थ के लिए बदल दिया है. क्या बायबल या कुरान के साथ ऐसा हुआ है?

No comments:

Post a Comment