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Tuesday, July 10, 2012

आदिवासी इलाकों में आरएसएस का षडयंत्र


आदिवासी-दलित बच्चे बीटी कोटन के खेतों
में मजदूरी करते हैं और आरएसएस पूणे में
आदिवासी युवाओं का केम्प करके उन्हे
मुसलमानों के खिलाफ उक्साता है. वादी
प्रताप की यह तसवीर हमने पीछले साल
नेशनल चाइल्ड राइट कमिशन को भेजकर
गुजरात में आने के लिए कमिशन को
 मजबूर किया था

गुजरात के आदिवासी बहुल इलाकों में बहुत जल्द आरएसएस का एक नया षडयंत्र हमारे सामने आनेवाला है. इसी षडयंत्र को अन्जाम देने के लिए गुजरात के साबरकांठा, बनासकांठा, सूरत के करीब 500 आदिवासी युवकों का पीछले जून माह में पूणे में आरएसएस ने केम्प गठीत किया था. सभी युवक वीस से चालीस साल के बीच के थे. एक युवा को और तीन युवाओं को साथ ले आने के लिए कहा गया था और इस तरह 500 युवाओं को इकठ्ठा किया गया था. केम्प पूरा महिना चला था. स्पेशीयल लक्झरी बसों में सभी को पूणे ले गए थे. इन जिल्लों के बीजेपी के आदिवासी तालुका डेलीगेटों को केम्प के लिए आदिवासी युवाओं को लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हडाद में राजुभाई जोषी नाम का एक बम्मन आरएसएस का कार्यकर है और ऐसे केम्प के लिए युवाओं को रीक्रुट करने का काम करता है. आदिवासी समाज के गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, निरक्षरता जैसे बूनियादी सवालों को हंमेशा हंमेशा के लिए दफनाने की यह साजिश है. गुजरात के आदिवासी समुदाय के तमाम कर्मशीलों को हमारी अपील है कि आरएसएस की इस साजिश को बेनकाब करें और नाकाम करें. 

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