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Saturday, July 7, 2012

किसकी कमर तोडी - रूपा की या दलित समाज की ?

 गुजरात के राजकोट शहर के थोराला क्षेत्र के अंबेडकरनगर में 25 जून 2012 को दलित युवान गुणवंत की हत्या के बाद दूसरे दिन उसकी स्मशानयात्रा निकली थी. उसके बाद पुलीस ने दलितों को कुचलने के लिए जो कुछ किया उसके बारे में एक भी शब्द गुजरात के अखबारों में नहीं आया. टीवी नाइन चेनल ने पुलीस दमन का लाइव टेलीकास्ट किया, मगर वह भी तेलुगु में किया. पेश है उस दमन की तसवीरें.


रणचंडी बनी है दलित माता,
संतान उसके खामोश है.

लड रही है दरिेंदों से, देखो उसकी हिंमत
घर में बैठे बैठे तूम क्या करोगे किंमत
गुणवंत की हत्या के बाद शोक में ़डूबे 
दलित सडकों पर आ गए
दलित आक्रोश को कुचलने के लिए पुलीस ने
उन्हे चारो ओर से घेर लिया
फिर, एक के बाद एक सब की पीटाई शरू की.
राजकोट में दलितों का मनोबल तोडने के लिए
पुलीस किसी ना किसी बहाने की तलाश में
रहती है
आरक्षण का बेकलोग उडा दिया, प्राइवेट में नौकरी नहीं,
दलित युवकों के जीवन में संघर्ष के सिवा कुछ नहीं


निहत्थे लोगों को पीटती है गुजरात की पुलीस
हरीजन चमचे बजाते हैं बीजेपी में कुरनीस
दलितों को बेरहेमी से पीटने के बाद 54 लोगों के
खिलाफ पुलीस ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें
 पांच महिला थी और उसमें साठ साल की
दलित माता भी थी
एफआईआर में पुलीस ने लिखा कि दलितों के पास
प्राणघातक हथीयार थे, अब आप देखें कि किसके
पास हथीयार है और कौन घातकी है.

गुणवंत की ह्त्या में सामिल नव लोगों में 6 हिन्दु थे
और 3 मुसलमान. मारनेवाले लेन्ड माफीया थे.

क्या इस तरह से मार खाने के लिए आपने गुजरात में
इन नालायकों को वोट दिया था


सफेद हेलमेट पहेना हुआ यह पुलीसवाला हर जगह
पर इसी तरह दलितों पर सीतम बरसाता है,
राजकोट में पहले भी हूई दलित दमन की कई
वारदातों में जाडेजा सरनेम का यह आदमी
सामिल था, ऐसा सभी का कहेना है.
गुजरात में बीजेपी को दलितों से बहुत प्यार है, 
देखो, मोदी की समरसता का यह साक्षात्कार है.


स्मशानयात्रा से वापस आए दलितों को पीटने के बाद
अब पुलीस पथराव करती हूई डॉ. अंबेडकरनगर में
घूसी और शूरू हुआ दमन का भयानक सीलसीला

सोलह साल की रूपा सोंदरवा अपने घर में खाना पका रही
थी, उस पर पुलीस ने जानलेवा हमला किया
रूपा के पड़ोसी के घर का दरवाजा तोडकर इस सीडी
से पुलीसवाले छत पर गए

पड़ोसी दलित दंपति को पुलीस ने भगाया, घर के
पीछे एक फेक्ट्री है, उसकी छत पर वे डर के मारे
भाग गए तो पुलीस ने वहां भी उन पर पथ्थर फेंके
.....और फिर यहां से रूपा के घर की दूसरी मंज़िल में घूसे

रूपा खाना पका रही थी, दो पुलीसकर्मियों ने उस
पर लाठियां बरसाई, 
रूपा भागकर सीडी से उतरने
लगी, उसकी पीठ पर उन्होने लात मारी,
वह सीडी से नीचे गीरी, उसकी कमर तूट गई.
 
गरीब माता-पिता रूपा को राजकोट सीवील अस्पताल
 में ले गए. वहां उसका रूटीन चेकअप करके उसे रिहा
कर दिया.
रूपा को अभी हमने अहमदाबाद की सीवील अस्पताल
में एडमीट करवाया है, उसकी ट्रीटमेन्ट हो रही है.
अपनी माता जयाबहेन बारोट के साथ खडा नव साल
 का मासूम बच्चा करण, जिसके पेट पर पुलीसने
 लात मारी, अभी उसके वृषण पर सूजन है, बाजु में
उसका भाई मुकेश (11) है, जिसके पांव पर लकडी
मारकर फ्रेक्चर कर दिया पुलीस ने. जयाबहेन
बता रही है कि दूसरे दोनों बडे लडकों को भी
पुलीस पकडकर ले गई थी.
करण को लेकर हम गए तूरन्त राजकोट की कलेक्टर
ओफीस पर, जहां पर चल रही थी अनुसूचित जाति
आयोग की बैठक
आयोग समक्ष करण ने अपनी बात रखी और बताया
कि पुलीस ने उसे लात मारी. किसी के पास उसका
जवाब नहीं था
मासूम बच्चों के साथ किए गए ऐसे व्यवहार को हम
बर्दास्त नहीं करेंगे, पुलीस अफसरों को साफ साफ
 कहा सीवील सोसायटी के शिष्ट मंडल ने.

आयोग के सभ्य राजु परमार ने कलेक्टर को एक्शन
टेकन रीपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया. बाद में जब
कलेक्टर से मीले तो उसने कहा, राजकोट सीटी में मेरा
ज्युरीस्डीक्शन नहीं है, सीपी का है. सीपी को फोन
किया, वह बोला, मैं अभी लीव पर हुं.
अत्याचार की हरेक घटना के बाद इस तरह कलेक्टर
कचहरियों में बैठक होती है, वे महज औपचारिकता
होती है.
प्रवीण नकुम (42) फेक्ट्री में मजदूरी करते
है. उनके घर में घूसकर पुलीस ने उन्हे
बहुत पीटा और तीन दिन तक गैरकानूनी
हिरासत में रखा
प्रवीण को इतनी बूरी तरह पीटा था कि एक हप्ते के
बाद 30 जून को जब हम इन्हे मीले थे तब भी
 उनके घाव भरे नहीं थे
घरों के दरवाजे तोडकर घूसी थी पुलीस

पांच दलित महिलाओं पर भी पुलीस ने केस किया है
इन मे से एक इलाबहेन का बच्चा अपने पिता के
साथ मां का इंतजार कर रहा है, वह बहुत दुखी
है, क्योंकि पुलीस ने मां के साथ उसके तीन
 माह की उम्र के उसके छोटे भाई को भी
जेल में बंध कर दिया है
पुलीस अत्याचार से डरे हैं लोग 

अनीता भीमजीभाई परमार. पुलीस उसके भाई और
पिता दोनों को पकडकर ले गई और उसको भी
बूरी तरह पीटा
रूपा के घर के पास इकठ्ठा हुए लोगों से सीवील सोसायटी
के सदस्यों ने बात की
अहमदाबाद से गई सीवील सोसायटी की टीम ने प्रारंभ
में ही स्पष्ट कर दिया था कि हम यहां दलितों और
मुसलमानों के बीच पैदा हूई दरार से चिंतित है.





30 जून, 2012. थोराला की मुलाकात लेने गई सीवील सोसायटी की टीम में रफी मलेक, होझेफा उज्जैनी, अशोक परमार, भानु परमार (दलित महिला अग्रणी), प्रसाद चाको, किरीट परमार, वृंदा त्रिवेदी, डॉ. जयंती सागठीया, राजु सोलंकी थे. 











2 comments:

  1. shit!

    how barbaric is this police, the police that is duty-bound by the law to protect the dalits from all atrocities and help them secure social justice! on the contrary they themselves turn into perpetrators of violence, even an aged woman is not spared from their wrath!

    where are the courts of justice and the commission for human rights, and commission for scheduled caste, and commission for women?

    what is the use of civil rights act and atrocities act for scheduled caste?

    and finally, where is the state and its legislators? particularly our own dalit legislators who are sitting as ministers in the modi cabinet and one of them is holding portfolio of dalit empowerment and social justice?

    it's complete lawlessness and anarchy in this country.

    it's a bloody hopeless situation. drives to desperation and ...

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  2. uska javab dene ka din he 30 apr all friend ap sabhi se me nivedan karta hu ki ap sbhi apna khyal rakhe... or vote for bsp ...

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