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Saturday, November 7, 2015

गुजरात में दलित बच्चों के लिए अलग आंगनवाडी



कल तक जो बात मंदिरों और कुंओं तक सीमित थी, आज वह सरकारी प्रोग्राम्स में भी आ गई. जहां पर हिन्दु समरसता का सबसे बडा ढिंढोरा पीटा जाता है उस गुजरात राज्य के पटेल-बहुल एक गांव में दलित बच्चों की अलग आंगनवाडी पाई गई है.
दर असल, वर्ष 2014 में हमने सूचना के अधिकार के तहत गुजरात राज्य के बाल सुरक्षा आयोग की पूरे साल की मिनिट्स प्राप्त की थी. उस मिनिट्स के जरीए हमने जाना कि राज्य के पाटन जीले के पाटन तहसील के हाजीपुर गांव में दलित और पटेल बच्चों के लिए अलग-अलग आंगनवाडियां हैं. आयोग की एक सदस्या मधुबहेन सेनमा ने ही इस बारे में आयोग की मीटींग में फरीयाद की थी.
एक साल बाद हमने सोचा कि आयोग ने कुछ किया होगा और उस हाजीपुर गांव में इस तरह की अलग आंगनवाडियां अब नहीं होगी. मगर उस गांव में जाकर हमने देखा कि अभी भी दोनों आंगनवाडियां ऐसी की वैसी चल रही है. हमने दोनों आंगनवाडियों के स्टाफ से पूछा तो उन्हे मालुम था कि मधुबहेन सेनमा ने इस तरह की दो अलग आंगनवाडियों के बारे में आयोग में फरीयाद की थी. हमें वहां और भी जानकारी मीली की सबसे पहले 159 नंबर की आंगनवाडी शूरु की गई थी. मगर गांव के पटेलों को यह बात कतई पसंद नहीं आई की उनके बच्चे दलितों के बच्चों के साथ बैठे. इसलिए उन्होने एक दूसरी आंगनवाडी शरू करवाई, जिसमें दलितों के बच्चों का जाना वर्जित है.
हमने आयोग की अध्यक्ष रामेश्वरी पंड्या, जो हंमेशां केनेडा-अमरीका घूमती रहती है और बाल अधिकार से जिसका दूर दूर का रिस्ता नहीं है, को एक पत्र लिखा. हमने उस औरत को कहा कि आप अध्यक्षपद से इस्तीफा दे दे इसी में गुजरात के बच्चों की भलाई है. शायद हमारी बात उसने मान ली और अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हमने नई अध्यक्षा भारतीबहेन तडवी से बात की, जो खुद आदिवासी समुदाय से है. तडवी इस कहानी से परिचित थे. उन्हों ने आश्चर्य प्रगट किया  कि क्यों मधुबहेन सेनमा ने इस फरीयाद का फोलो अप नहीं किया. हमने एक और पत्र गुजरात के सामाजिक न्याय तथा अधिकारीता के अधिक मुख्य सचिव श्रीमान डागुर से लिखा और उन को कहा कि भाईसाब पटेलों के बच्चों के लिए जो अलग आंगनवाडी है वह बंध किजिए. श्रीमान डागुर राज्य की चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटी के चेरमेन भी है. हम एक सप्ताह राह देखेंगे, अगर एक सप्ताह में डागर का कोई जवाब नहीं आया तो हम उसके खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट की सेक्शन-4 के तहत एफआईआर दर्ज करवाएंगे.
हमने हमारी सारी कहानी इन्डीयन एक्सप्रेस की रीपोर्टर रीतु शर्मा को बताी. उसने अच्छी स्टोरी लिख दी और फर्स्ट पेइज पर छप भी गई, मगर उसने अलग आंगनवाडी के खिलाफ हमारी मुहीम के बारे में लिखना योग्य नहीं समजा.






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