जिस
में तीन युवाओं की पुलीस ने निर्मम हत्या की थी उस थानगढ केस में अभी तक सुरेश
गोगीया को सेक्शन 307 में जमानत नहीं मिल रही और सामतेर केस में भीमाभाई चौहाण की
हत्या करनेवालों को सेक्शन 302 में गुजरात हाइकोर्ट ने जमानत दे दी है.
नायब
पुलिस अधिक्षक (लींबडी), सी आर कोटड द्वारा रखी गई चार्जशीट में एक सौ एक पुलिसकर्मी
को वीटनेस बताया गया है. और चौदह दलितों को अपराधी दिखाया है, जिसमें मरनेवाले दो
युवा प्रकाश और मेहुल भी है. सुरेश गोगिया के खिलाफ
सेक्शन 307, 395, 397, 120 बी, 147, 148, 149, 332, 337, 427, 504, 511 तथा जी पी
एक्ट सेक्शन 135 तथा डेमेज टु पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट सेक्शन 4, 5 के तहत गंभीर
आरोप लगाये गये है. ये
सारे आरोप उस घटना संबंधित है, जिसके अगले दिन किलर पीएसआई जाडेजा ने बिना वजह एक
दलित युवान को मौत के घाट उतार दिया था. जाडेजा के खिलाफ 302 सेक्शन लगाई गई है,
अभी तक उसकी गिरफ्तारी करने की पुलीस तंत्र की कोई इच्छा नहीं है, जाडेजा अभी भी
गुजरात में ही आराम से इस तरह से दिन गुजार रहा है, मानो कोई लंबी छुट्टी पर हो.
इसी
दौरान ता. 19-6-2012 को सामतेर में भीमाभाई चौहाण पर जानलेवा हमला करके मौत के घाट उतारनेवाले तीन
लोगों को उना की सेशन्स कोर्ट ने जमानत दे दी और उस जमानत को गुजरात हाइकोर्ट ने
भी मंजुरी की महोर लगा दी. आप कल्पना किजीए, किसी गांव में दलित की हत्या करने के
बाद इतनी आसानी से जमानत पर छुटनेवाले लोग, जो पुलीस के साथ मिलजुलकर दारु बेचते
हैं (शायद पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप इसे ही कहते होंगे), दलित के साथ किस तरह पेश
आते होंगे?
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