वह प्रतिमा जिसे तोडने की अफवाह फैलाई गई |
इस
साल चौदह अप्रैल को गुजरात के किसी शहर में डॉ. बाबासाहब अंबेडकर की प्रतिमा का
खंडन हुआ है ऐसा कोई रीपोर्ट आपको मिले और यह काम मुसलमानो ने किया है ऐसा उस
रीपोर्ट में उल्लेख हो तो, हमें याद करना. हो सकता है कि ऐसी कोई घटना हुई ही ना
हो. बीजेपी के सेफ्रन षडयंत्रकारियों की दलित और मुसलमान को लडाने की यह एक नई
साज़िश भी हो सकती है. हम ऐसा दावे के साथ कह सकते है, क्योंकि पीछले साल सचमुच
ऐसा षडयंत्र गुजरात के राजकोट शहर में गढ़ा गया था और उसे पुलीस की मदद से बखूबी
अंजाम दिया गया था.
दलित अपने घरों को ताला लगाकर नीकल गए हिन्दु राष्ट्र की पुलीस पीछे जो पडी थी |
घटना के पंद्रह दिनों के बाद भी ऐसी हालत थी |
विपुल गोहील (14 वर्ष) |
हमने ता. 30 अप्रैल को घटना स्थल की तहेकीकात की. प्रतिमा वहीं की वहीं है. उसे जरा सा भी नुकसान नहीं हुआ था. अगर कोई सचमुच इस प्रतिमा को हाथ से या कीसी चीज से गीरा देता है तो जरूर उसे क्षति पहुंचती. लगता था किसीने जानबूझकर प्रतिमा को संभालकर जमीन पर रख दिया था और अफवा फैलाई थी. दलितों को जो नुकसान होना था हो चुका था. उसी दिन घटना स्थल से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित महात्मा गांधी होस्टेल के दलित विद्यार्थीओं के साथ जो हुआ उससे षडयंत्र की बात को और पुष्टि मीलती है.
राहुल राठोड, पुलीस के समन्स अभी
भी उसका पीछा नहीं छोडते
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संजय काथड, एम.ए. पार्ट टु की तैयारी कर रहा था, और पुलीस तूट पडी |
दिलीप मकवाणा, पुलीस ने इतनी बेरहेमी से मारा कि चलने के काबिल भी नहीं रहा |
मुसलमान औरतों ने बताया कि दंगे में किसी को कुछ नुकसान नहीं हुआ, प्रतिमा खंडन के बारे में मालुम नहीं |
शायद हिन्दुत्ववादियों को यही बात चूभती है ..... |
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