थानगढ में दलित
बच्चों को .303 (पोइन्ट थ्री नोट थ्री) और कार्बाइन गन से मारा गया था. पुलीस की
एफआईआर में इस बात का जीकर है, इस लिए गुजरात सरकार इस बात से मुकर नहीं सकती.
पोइन्ट थ्री नोट थ्री कैसी कातिल जानलेवा बंदूक है, इसका अंदाजा अगर किसी को
होता भी है, हमें बताने के लिए वह जिंदा नहीं रहता.
पोइन्ट थ्री नोट थ्री का
इस्तेमाल बरसो से पुलीस फोर्स कर रहा है. 1956 के महा गुजरात के आंदोलन दौरान जब
लाल दरवाजा की कांग्रेस कचहरी के पास विनोद किनारीवाला की जान गई थी, तब मोरारजी
देसाई बोला था, "बंदूक की गोलियों
पर मरनेवाले का पता नहीं लिखा होता." नवनिर्माण के
आंदोलन के दौरान चीमन पटेल की सरकार ने 105 युवाओं की जान ली थी. उस वक्त भी पुलीस
युवाओं की छाती में गोलियां मारती थी. अब आतंकवादियों के सामने साडे चार किलो वजन
की और मीनट में बीस राउन्ड छोडनेवाली पोइन्ट थ्री नोट थ्री अब पुरानी हो चूकी है.
मुंबई में कसाब और उसके आतंकी साथी कार्बाइन लेकर आये थे और 166 लोगों को मार डाला था. मुंबई के आतंकी हमले के बाद भारत
सरकार ने पाकिस्तान की सरहद पर आये राज्यों को ओटोमेटिक राइफलें देने का निर्णय
लीया था और उस निर्णय के तहत गुजरात में 2000 ओटोमेटीक राइफलें आइ थी. इन राइफलों
को गुजरात के विभिन्न जीलों में बांटी गई थी. उसी में से एक कार्बाइन से पुलीस ने थानगढ
में दलित बच्चों को मौत के घाट उतारा था. सिर्फ 3.2 किलो की कार्बाइन मीनट में 650
राउन्ड छोडती है.
थानगढ में दलितों पर वोटर केनन, लाठीचार्ज, अश्रुवायु किसी का भी
प्रयोग किये बिना पुलीस ने कार्बाइन गन चलाई थी. अब गुजरात के दलित इस चुनाव में
मोदी-फलदु के पीछे पीछे कुत्ते की तरह घुमते उनके प्रतिनिधियों को हराकर सबक
शीखायेंगे तभी थानगढ के मृतात्माओं को सच्ची श्रद्धांजली मीलेगी.
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