2009 में एक सरकारी
आदमी अहमदाबाद के राणीप वोर्ड में आई नट बस्ती में गया और सुवर्ण जयंती शहरी
रोजगार योजना के तहत बीपीएल की लीस्ट में नाम दर्ज करने के लिए सभी की अर्जी ली और
उन्हे उस अर्जियों की रीसीप्ट भी दे दी. रसीप्ट में इनवर्ड नंबर, तारीख, वोर्ड नंबर,
वोर्ड का नाम, अर्जी करनेवाले का नाम तथा अर्जी कास्वीकार करनेवाले का नाम सब लिखा
गया. 2009 से आज तक नट की बस्ती के लोग इस रीसीप्ट को हाथ में पकडकर बैठे रहे और
कोई उन्हे वापस मिलने नहीं आया. उन्हे मालुम भी नहीं कि उनका नाम बीपीएल यादी में
है या नहीं.
जब हम रेशनकार्ड
दिलवाने के लिए इन्हे लेकर अहमदाबाद के अन्न नियंत्रक की कचहरी ले गए, तब वहां
ओफीसर ने बताया कि यह लिस्ट अहमदाबाद म्युनिसिपल कोर्पोरेशन की है, हमें इसे कोई
लेना देना नहीं है. तब हमें मालुम पडा कि गरीबों को बीपीएल की लीस्ट में नाम दर्ज
करवाने के लिए यहां गुजरात में कोई सींगल वीन्डो सीस्टम नहीं है. और दूसरा,
कोर्पोरेशन की बीपीएल यादी से गुजरात सरकार के अन्नविभाग को कोई सरोकार नहीं है.
मोदी गुजरात में उस टेन कमान्डमेन्ट का अमल नहीं कर सके और दील्ली जाकर बडाशे
मारने लगे.
अब हमें यह भी
मालुम पडा कि यह सुवर्ण (मृग) जयंती रोजगार योजना अब बंध पडी है.
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