अभी गुजरात विधानसभा का सत्र गांधीनगर में चल रहा है. वहां रजनीकांत ने
अंग्रेजी में सभागृह को संबोधित किया. रजनीकांत यानी तमिल सुपरस्टार रजनीकांत
नहीं, बल्कि वह रजनीकांत पटेल जो आइएएस अधिकारी थे. जिन्हो ने मोदी के गरीबमेला को
सफल बनाया. मोदी ने उन पर महेरबान होकर अहमदाबाद के असारवा क्षेत्र से चुनाव
लडाया, ऐसा वचन देकर कि जीतोगे तो तुम्हे मंत्री बनाउंगा.
अब रजनीकांत धारासभ्य तो हो गए, लेकिन मोदी उन्हे मंत्री नहीं बनाते. इस लिए
रजनीकांत पटेल ने मोदी को इम्प्रेस करने के लिए अंग्रेजी में भाषण दिया. मोदी ने
रजनीकांत को क्यों मंत्री नहीं बनाया उसका कारण बताते हुए टाइम्स ऑफ इन्डीया लिखता
है कि रजनीकांत सिर्फ 35,000 के मार्जिन से जीते थे. रजनीकांत को दलितों के बहुत
कम वोट मीले, इससे मोदी नाराज है.
जिस क्षेत्र में दलितों के पचास हजार मतदाता है, ऐसे क्षेत्र में बीजेपी के
उम्मीदवार को, वह भी नरेन्द्र मोदी के पढेलिखे तोते को, दलित समाज वोट नहीं देता
तो इसमें नाराज होने की क्या बात है? बेचारे टाइम्स ऑफ इन्डीया के रीपोर्टर को पता
नहीं है कि यह तो बीजेपी तथा मोदी के लिए वाकइ में खुश होने की बात है. यही
परिस्थिति का निर्माण करने के लिए तो पूज्य बापु ने यरवडा जेल में आमरणांत उपवास
किए थे. दलितों की मर्जी के खिलाफ उन पर थोपा गया उम्मीदवार सवर्ण हिन्दु प्रजा के
मतों से चुना जायेगा. यही सिद्धांत पर तो टीका है बीजेपी का रामराज्य!
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